जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ तुलसी वहाँ न जाइये, चाहे कञ्चन बरसे मेर ॥ सिया पति राम चन्द्र जी की जय , जय जय बजरंगबली ।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ तुलसी वहाँ न जाइये, चाहे कञ्चन बरसे मेर ॥ सिया पति राम चन्द्र जी की जय , जय जय बजरंगबली ।।